प्रदेश में कोने-कोने में देवी मां विराजमान है। कहीं मां महामाया तो कहीं पाताल भैरवी, कहीं देवी लखनी तो कहीं मां बम्लेश्वरी के रूप में। ऊर्जा नगरी के तौर पर जाने जाना वाला शहर कोरबा यहां पर भी माता सर्वमंगला के रूप में विराजमान है। मां सर्वमंगला का मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। मान्यता है कि मां सर्वमंगला के दर्शन मात्र से ही भक्तों के मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
मंदिर की स्थापना के लगभग 1898 के आसपास मानी जाती है। लेकिन इस मंदिर का इतिहास इससे भी पुरानी है। मंदिर में खास बात यह है कि मंदिर में सूर्य देव के मनमोहक प्रतिमा के समीप स्थित वट वृक्ष है। जिसे मंदिर के पुजारी 500 साल पुराना बताते है।
उनका कहना है कि मंदिर के स्थापना के समय से ही यह वृक्ष भी है। उनके पूर्वजों ने यह बताया है। इस वृक्ष की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे मनोकामना पूरा करने वाली वृक्ष माना जाता है। पूर्व में इस वृक्ष के नीचे हाथी भी आकर विश्राम किया करते थे। इसके बाद पिछले कुछ वर्षों तक विशाल वट वृक्ष के झूले जैसे तनो पर मयूर भी आकर विश्राम व क्रीड़ा करते थे।