माता सीता का अवतरण हुआ था धरती से, जानिए माता सीता के जन्म की कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां सीता का जन्म हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 21 मई को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद मनोज तिवारी ने बताया कि मां सीता के जन्मोत्सव को सीता नवमीं या जानकी नवमीं के नाम से जाना जाता है।
माता सीता भगवान श्री राम की धर्मपत्नी है और अपने त्याग और समर्पण के लिए पूजनीय है। सीता नवमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए व्रत भी करती है।
सीता नवमीं की पूजा विधि
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
-घर के मंदिर की साफ-सफाई करे।
-मंदिर में साफ-सफाई करने के बाद दीप प्रज्ज्वलित करे।
-देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करे।
-माता सीता का अधिक से अधिक ध्यान करे।
-माता सीता के साथ भगवान श्री राम का भी ध्यान करे।
-यदि व्रत कर सकते है तो व्रत भी करे। लेकिन यदि व्रत नहीं करते तो पूजा विधि-विधान से कर सकते है।
-भगवान राम व माता सीता को भोग लगाए। इस बात का ध्यान रखे कि भगवान को सात्विक चीजों का ही भोग लगाए।
-इस दिन भगवान राम व सीता के साथ हनुमान जी का भी ध्यान करे।
इस पूजन का महत्व
सीता नवमी की तिथि बहुत ही पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन व्रत व पूजन का विशेष महत्व होता हे। सुहागिन महिलाएं व्रत व पूजन करती है। माता सीता की पूजा करने से सभी तरह की समस्याएं दूर हो जाती है।