आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि अगर इस दिन उपवास रखा जाए और साधना की जाए तो हर तरह के पापों का नाश होता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से सुख-समृद्धि और शांति का घर में आगमन होता है। एकादशी व्रत से व्यक्ति को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है।तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद मनोज तिवारी ने बताया योगिनी एकादशी का व्रत महत्व और क्या रहेगा शुभ मुहूर्त विस्तार से जानकारी दी।
योगिनी एकादशी का महत्व:
योगिनी एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण एकादशी होती है। क्योंकि इसके बाद ही देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु अगले 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद से कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। दो महत्वपूर्ण एकादशी निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच योगिनी एकादशी आती है। इस बार योगिनी एकादशी 5 जुलाई दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
मिलती है रोगों से मुक्ति:
मान्यताओं के अनुसार कुष्ट रोग से पीड़ित व्यक्ति अगर योगिनी एकादशी का व्रत करता है तो उसे इस रोग से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा, इस एकादशी का व्रत करने से आने वाले समय में भी कुष्ट रोग होने का खतरा दूर होता है। साथ ही इस एकादशी का व्रत करने से स्किन संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती है।
योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त:
योगिनी एकादशी व्रत- 5 जुलाई 2021, दिन सोमवार
एकादशी तिथि प्रारंभ- 4 जुलाई 2021, शाम 7 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 5 जुलाई 2021, 10 बजकर 30 मिनट तक
व्रत पारण का समय- 6 जुलाई 2021, सुबह 5 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक
इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत, तुलसी दल और चंदन अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनामावली का पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।