सिर्फ मनुष्यों के ही नहीं बल्कि देवताओं के भी परिवार होते है। इस विशय में समस्त पुराणों में उल्लेखित भी है। सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है।
आज हम सूर्य देव के पूरे परिवार के विषय में जानेंगे। सूर्य देव का भी भरा पूरा परिवार माना जाता है।
इसमें धर्मराज यमदेव व कर्मफल दाता शनि देव को तो हर कोई जानता है। लेकिन इनके मध्य क्या संबंध है हम अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे।
भगवान सूर्य नारायण धर्मराज व कर्मफलदाता शनिदेव के पिता है। शनि का स्वभाव क्रोधी माना जाता है। माना जाता है कि पिता व पुत्र की आपस में नहीं बनती है और दोनों साथ-साथ जिस भी स्थान पर होते है वहां विनाश होता ही है।
सूर्य देव को सृष्टि का जीवनदाता माना जाता है। सारे जगत को चलाने वाला और अपनी किरणों के तेज से ब्रम्हांड को प्रकाशित करने वाले है इनके बीना जीवन की कल्पना संभव नहीं है।
भाई-बहन है यम ,यमुना व शनि
सूर्य देव के तीनों ही संतान है और पहली पत्नी संज्ञा से यम-यमुना व दूसरी से शनि देव है इस तरह से ये एक ही परिवार के सदस्य है। यमराज व कर्मफलदाता शनि दोनों भाई है वहीं यमुना इनकी बहन है।
ऐसे हुई थी सूर्य देव की उत्पत्ति
धर्म शास्त्रों में सूर्यदेव की उत्पत्ति के विषय में अनेक प्रसंग है। जिसमें भगवान सूर्य को महर्षि कश्यप व माता अदिती का पुत्र माना जाता है।
अदिती पुत्र होने के नाम से ही इनका एक नाम आदित्य हुआ। सूर्य देव के जन्म के संबंध में एक कथा प्रचलित है एक बार दैत्य-दानवों ने मिलकर देवताओं को पराजित कर दिया और स्वर्ग पर कब्जा कर लिया।
पराजित देवताओं को इस कारण इधर-उधर भटकना पड़ा। देव माता अदिति इस हार से निराष होकर भगवान सूर्य की उपासना करने लगी।
उनके तप से प्रसन्न होकर सूर्य देव प्रकट हुए और उन्होंने देवी अदिती से कहा कि मै। अपने हजारवें अंष से आपके गर्भ से जन्म लेकर आपके पुत्रों की रक्षा करूंगा।
कुछ समय बाद देवी अदिती गर्भवती हुई और उनके गर्भ से सूर्यदेव का प्राकट्य हुआ। बाद में सूर्य देव देवताओं के नायक बने और असुरों का संहार किया।
सूर्य देव के परिवार के विषय में मतस्य पुराण, भविष्य पुराण, ब्रम्हपुराण, मार्कण्डेय पुराण, पद्मपुराण और सांब पुराण में वर्णन है।
सूर्य देव की है दो पत्नी
सूर्य देव की दो पत्नी है सूर्य देव का विवाह सबसे पहले देव विष्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ। उनकी एक और पत्नी छाया है भगवान सूर्य की कुल 10 संताने है।
इनके पुत्रों में यमराज और शनिदेव है। इसके अलावा यमुना, वैवस्वत, मनु, तप्ति, अष्विनी और कुमार, भद्रा भी इनकी संताने है।
संज्ञा की छह व छाया की चार संताने हुई। यमराज सूर्य देव के सबसे बड़े पुत्र है इनके बाद यमुना देवी उनके संतान के रूप में जन्मी। तीसरे संतान के रूप में वैवस्वतमनु का जन्म हुआ। उन्होंने ही मनि स्मृति की रचना की।
शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र
सूर्य देव के दूसरी पत्नी छाया से शनिदेव प्रथम संतान है जो न्यायाधीश माने जाते है। दूसरी संतान तप्ति है तीसरी संतना विश्टि ने भद्रा नाम से जन्म लिया। चैथी संतान सावर्णि मनु है।