पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए तो सर्व पितृ अमावस्या पर करे तर्पण, जाने कैसे
पितृ पक्ष की अमावस्या की तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहते है। जन्मकुंडी में पितृ मातृदोष से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध के लिए सर्व पितृ अमावस्या अक्षय फलदायी मानी जाती है।
कई कथाएं है प्रचलित
पितृ पक्ष की अमावस्या की तिथि को लेकर सनातन धर्म में एक प्राचीन कथा भी कही-सुनी जाती है। कथा के मुताबिक अग्निष्वात और बर्हिषपद की मानसी कन्या अक्षोदा घोर तपस्या कर रही थी। तपस्या में वह इतनी लीन रही कि एक हजार वर्ष बीत गए।
तब आश्विन अमावस्या के दिन श्रेष्ठ पितृगण अक्षोदा को वरदान देने के लिए प्रकट हुए। उन पितरों में से एक अमावसु की मनोहारी छवि और तेज ने अक्षोदा को कामातुर कर दिया। माना जाता है कि अक्षोदा उनसे प्रणय के लिए निवेदन करने लगी।
मगर अमावसु ने इनकार कर दिया। जिससे अक्षोदा अति लज्जित महसूस करने लगी। सभी पितरों ने अमावसु के धैर्य की सराहना की। इसके बाद से पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि का बहुत महत्व माना जाने लगा।
14 दिनों के तर्पण का मिलता है पुण्य
जो व्यक्ति किसी भी दिन श्राद्ध न कर पाए तो वह अमावस्या के दिन श्राद्ध तर्पण करके बीते 14 दिनों का पुण्य प्राप्त कर सकता है। इसी कारण इस माह की अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। सर्व पितृ श्राद्ध के रूप में इस तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन मिलती है आत्मा को तृप्ति बहुत से लोगों को अपने पितरों के मृत्यु की तिथि को भूल जाते है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान अमावस्या की तिथि ही होती है। जो उन पितरों के तर्पण, आहवान व श्राद्ध से तृप्त हो जाती है। इसलिए इस दिन को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है।
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