निर्धारित किए हुए कार्य को पूरा करने की झंझट में अन्य और कई नुकसान हो रहे है। अपने अमूल्य समय को व्यर्थ के कामों में न गवाएं। यह बातें शुक्रवार को जैन मुनि पंथक ने बिलासपुर टिकरापारा स्थित जैन भवन में प्रवचन देते हुए श्रावक-श्राविकाओं से कहीं।
जैन मुनि पंथक पिछले 4 जुलाई से शहर पहुंचे है और यहां पर वे अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन का वास्तविक ज्ञान जैन समाज के लोगों को दे रहे है। शुक्रवार को प्रवचन में जैन मुनि पंथक ने कहा कि रोजाना या जीवन में निश्चत किया गया कार्य किसी भी प्रकार से पूरा करना ही है। ऐसी धारणा के साथ कई लोग जीवन व्यतीत करते है। इस कारण से ऐसे लोग देर रात त
काम में जुटे रहते है। सुबह भी जल्दी काम में लग जाते है। इस कारण से जीवन से निर्देष मजाक रूपी आनंद किसी से मिलना-जुलना सब समाप्त कर देता है। जिसके प्रति हमें प्रेम भाव है जिसको हम से प्रेम है, जो हमेशा हमारे लिए दे रात तक काम करता देखते है और कई रिश्तेदारों से संबंधियों से इस कारण रिश्ता भी तोड़ देते है।
इस प्रकार की जीवन शैली में जुटे रहने के साथ यह मन बनाते है कि यह काम पूर्ण होने के बाद मेरे जीवन में सुख-शांति और आनंद प्राप्त हो जाएगा। लेकिन यह भ्रम रूपी होता है। क्योंकि जीवन में एक कार्य खत्म हो जाने के बाद आगे और कई नए काम करने को आ जाते है और जीवन को सही तरह से जीने का समय ही नहीं मिल पाता। ऐसे कई कार्य जो कि अनिवार्य रूप से करने ही पड़ते है जैसे कि फोन अटेंड करना, आजीविका के लिए एवं सफलता प्राप्त करने के लिए कई कार्य तो करना ही होगा। लेकिन इसका मतल यह नहीं है कि इसके कारण अपने मन की शांति और स्नेही जन का साथ छोड़ दे।
अपनी मानसिक शांति, प्रेम भाव, सुख से बिछड़ जाए। इसके अलावा आप अपने कार्य को पूर्ण करने में जुट जाएंगे तो वहीं कार्य अल्प समय में ही पूर्ण हो जाएगा। याद रखों कि जब आपकी मृत्यु होगी तब भी आपके कार्य बाकी रह जाते है। जो कि खुद तुम्हें ही करना था लेकिन ऐसा कार्य आपके अन्य को करना पड़ेगा। यह कौन सा कार्य है आप समझ सकोगे जीवन के अमूल्य समय को फालतू कामों में ना गवाएं।
नई शुरुआत , बढ़िया