यूरोप और अमेरिका के बाद अब भारत में भी कोरोना मरीजों का इलाज एंटीबाॅडी काॅकटेल (Cocktail Medicine) के जरिए शुरू हो गया है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आॅर्गनाइजेशन ने इसके लिए पहले ही इजाजत दे दी थी। दिल्ली में इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है। हरियाणा के 84 साल के मोहब्बत सिंह पहले मरीज है। जिन्हें यह दवा दी गई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जब कोरोना हुआ था। तब उन्हें भी यह दवा दी गई थी। मोनोक्लोनल एंटीबाडी, एक बनी बनाई इम्यूनिटी है, जो कोविड के नए संक्रमित मरीज के इलाज में 70 प्रतिशत तक कारगर है। ओपीडी बेस पर 30 मिनट में यह दवा दी जाती है फिर मरीज को होम केयर में फालो किया जाता है। अमेरिका में मोनोक्लोनल एंटीबाडी स्टैंडर्ड आफ केयर में है। अब भारत में भी फार्मा कंपनी राॅश और सिप्ला ने कोरोना के खिलाफ एंटी बाॅडी काॅकटेल को लांच किया है। कंपनी के मुताबिक एंटीबाडी काॅकटेल का पहला बैच मिलना शुरू हो गया है। मोनोक्लोन एंटी बाॅडी का पहली बार इस्तेमाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में हुआ है।
इस तरह तैयार होता है काॅकटेल ड्रग्स
यह दो दवाओं का मिश्रण है, इसलिए इसे काॅकटेल ड्रग्स (Cocktail Drugs) कहा जाता है। इसमें दो तरह की एंटीबाडी कासिरिविमैब और इमडेविमैब का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वैरिएंट और म्यूटेशन के बाद भी यह काम करे। इसमें वायरस पर दो तरफ से हमला किया जाता है। इन दोनों दवाओं को 600-600 MG मिलाने पर काॅकटेल दवा (Cocktail Medicine) तैयार होती है। यह वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता है। इस तरह यह दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब कोई संक्रमित होता है, तो शरीर एंटीबाडी बनाने में औसतन दो सप्ताह का समय लेता है लेकिन यह दवा बनी बनाई इम्यूनिटी है। जो बाॅडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है और संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है। यह एंटीबाॅडी 3 से 4 सप्ताह तक चल जाती है। तब तक मरीज ठीक हो जाता है। इस दवा के सेवन से मरीज को इलाज के लिए एडमिट होने की नौबत कम आती है। इससे मौत को भी कम करने में मदद मिलती है।
कोविड के नए मरीजों पर ज्यादा कारगर
यह दवा कोविड के नए मरीजों पर ज्यादा कारगर है। विशेषज्ञों के मुताबिक बीमार होने पर जितनी जल्दी काॅकटेल ड्रग्स (Cocktail Medicine)का इस्तेमाल किया जाता है, उतना अच्छा रिजल्ट आता है। स्टडी में यह 70 फीसदी तक कारगर पाई गई है। इस दवा की एक डोज की कीमत 59750 रुपए तक की गई है।
बच्चों व बुजुर्गों को दे सकते है दवा
डाॅक्टरों के मुताबिक 65 साल से ऊपर के मरीजों में इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। बुजुर्ग जो पहले से बीमार है डायबिटीज है, लिवर या किडनी की बीमारी है। कैंसर के मरीज है। स्टेरायड पर है। ऐसे लोगों को यह दवा दी जा सकती है। इसके अलावा 55 साल तक के बीमार लोग जो हार्ट या सांस के मरीज है। उन्हें भी यह दवा दी जा सकती है। दवा का इस्तेमाल बच्चों पर भी किया जा सकता