श्री पीताम्बरा पीठ बगलामुखी देवी सरकंडा में विधि-विधान से पूजा करते हुए मनाया नवरात्रि उत्सव
श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में चैत्र नवरात्र उत्सव मंा स्थापित श्री मनोकामना घृत ज्योति कलश , पीताम्बरा मां बगलामुखी देवी का विशेष पूजन, श्रृंगार, जप,यज्ञ श्री देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक एवं श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ब्राह्मणों के द्वारा निरंतर चल रहा है।आचार्य पं. दिनेश चंद्र पांडेय महाराज ने बताया कि मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है।
नवरात्र के आठवें दिन मां बगलामुखी देवी का महागौरी के रूप में पूजन, उपासना किया गया। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों को सभी कलंक धुल जाते हैं, और पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते।
अर्थात वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है श्अष्टवर्षा भवेद् गौरी। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं, इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। महागौरी की चार भुजाएँ हैं।
इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।यह अमोघ फलदायिनी हैं और भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा का बड़ा महात्म्य है। मान्यता है कि भक्ति और श्रद्धा पूर्वक माता की पूजा करने से भक्त के घर में सुख-शांति बनी रहती है। मां महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है। हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए।
इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ कर मनुष्य को सदैव इनके ही पादारविन्दों का ध्यान करना चाहिए। महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। इनके चरणों की शरण पाने के लिए हमें सर्वविध प्रयत्न करना चाहिए।
पुराणों में मां महागौरी की महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है। ये मनुष्य की वृत्तियों को सत्य की ओर प्रेरित करके असत्य का विनाश करती हैं। माना जाता है कि आठवें दिन महागौरी की उपासना से सभी पाप धुल जाते हैं। देवी ने कठिन तपस्या करके गौर वर्ण प्राप्त किया था। भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप हैंए इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है यह धन वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
यह एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू लिए हुए हैं। गायन और संगीत से प्रसन्न होने वाली महागौरी सफेद वाहन पर सवार हैं। इस दिन माता को भोग में नारियल का भोग लगाया जाता है। माता बगलामुखी की उपासना से समस्त शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्तों सभी प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है ।
करोना वायरस रूपी से संक्रमित वैश्विक महामारी रूपी राक्षस दैत्य से बचने हेतु सभी भक्तों को श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी के मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे आप एवं आप के परिवार की करोना वायरस रूपी राक्षस के भय एवं संक्रमण से रक्षा हो सके।
स्वयं सुरक्षित रहें एवं अपने परिवार को भी सुरक्षित रखें। कोरोना वायरस से संक्रमित वैश्विक महामारी को देखते हुए प्रशासन के नियमानुसार लॉक डाउन नियम का पालन करते हुए दर्शनार्थ मंदिर शासन के आगामी आदेश तक बंद रहेगा। अतः घर बैठे ऑनलाइन माता के दर्शन का लाभ श्रद्धालुओं ने प्राप्त प्राप्त किया।
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