भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। भगवान गणेश के आशीर्वाद के बिना कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है। भगवान गणेश की पूजा हर उत्सव व आयोजन में सबसे पहले की जाती है। उनकी पूजा में पुष्प से लेकर के प्रसाद तक हर एक चीज खास होता है। भगवान गणेष की पसंदीदा चीजों के विषय में लेखों के माध्यम से अवगत कराया गया है। इस लेख में भगवान गणेश को अर्पित किए जाने वाले भोग लड्डू व मोदक के विषय में बताएंगे। आखिर भगवान गणेष को मोदक या लड्डू ही क्यों अर्पित किया जाता है।
भगवान गणेश की पूजा में सबसे ज्यादा मोदक ही अर्पित किया जाता है। मोदक भगवान गणेश को क्यों पसंद है यह बहुत कम लोग ही जानते है। भगवान को चाहे कितने भी तरह का भोग अर्पित करे उन्हें मोदक सबसे प्रिय है। मोदक कैसे भगवान गणेश का पसंदीदा भोग बना इसके विषय में पुराणों में वर्णन है।
0 यह है पौराणिक कथा
भगवान गणेश का परशुराम से युद्ध हुआ था। तब युद्ध के दौरान भगवान परशुराम के परशु से भगवान गणेश का एक दांत टूट गया था। तब भगवान गणेश को कुछ भी चीज खाने में परेशानी हो रही थी। उस समय माता पार्वती ने भगवान गणेश के तकलीफ को देखते हुए उन्हें चबाना न पड़े ऐसा व्यंजन तैयार कराया। मोदक काफी मुलायम होता है। जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है और इसका मीठा स्वाद मन को आनंदित कर देता है। भगवान गणेश
को जब यह खाने के लिए दिया गया तो उन्हें बहुत अच्छा लगा। तब से ही यह उनका पसंदीदा भोग बन गया। मोदक प्रसन्नता प्रदान करने वाला मिष्ठान है। मोदक के शब्दों पर गौर करे तो मोद का अर्थ होता है हर्ष यानी खुशी। भगवान गणेश को शास्त्रों में मंगलकारी एवं सदैव प्रसन्न रहने वाला देवता कहा गया है। वह कभी किसी चिंता में नहीं पड़ते। इसका कारण संभवतः मोदक है क्योंकि यह गणेश जी को हमेशा प्रसन्न रखता है।
0 पद्म पुराण में है वर्णन
पद्म पुराण में सृष्टि खंड में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा है उसके मुताबिक मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वत को दिया। गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन माता पार्वती से सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गई। अपनी चतुराई से गणेश जी ने माता से मोदक प्राप्त कर लिया। गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश मोदक प्रिय बन गए।
0 लड्डू की विशेषता
यजुर्वेद में जो बात लिखी है उसके मुताबिक भगवान गणेश को परब्रम्ह स्वरूप् माना गया है। लड्डू को गौर से देखेंगे तो उसका आकार ब्रम्हाण्ड के समान है। गणेश जी के हाथों में लड्डू का होना यह भी दर्शाता है कि गणेश जी ने ब्रम्हाण्ड को धारण कर रखा है। सृष्टि के प्रांरभ के समय भगवान गणेश ब्रम्हाण्ड को प्रलय रूपी मुख में रख लेते है और सृष्टि के आरंभ में इसकी रचना करते है।
Good information…👍
🙏तु सुखकर्ता तु दु:खहर्ता।
तुच कर्ता आणी करविता ।
मोरया मोरया मंगलमुर्ती मोरया।
गणपती बाप्पा मोरया🙏
Behad hi achi jankari